लेखनी प्रतियोगिता -05-Jul-2022भाग्य का खैल
तकदीर शब्द जवान पर आते ही हर ब्यक्ति यही कहता है कि हमें जीवन में उतना ही मिलता है जितना हमारे भाग्य में लिखा होता है तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में लिखा है
सुनह भरत भावी प्रबल बिलखि कहेउ मुनिनाथ।
हानि लाभ जीवन मरण यश अपयश बिधि हाथ।।
भाग्य व तकदीर पर अनेक कथाये भी सुनी ल पढी़ है। एक छोटी सी कथा इस प्रकार है:-
एक नगर में एक सेठ रहता था सेठ के पास सम्पत्ति की कोई कमी नही थी। उसके पाँच लड़किया ही थी। वह अपनी सभी बेटियौ को बहुत प्यार करते थे। वह सबसे छोटी बेटी को सबसे अधिक प्यार करते थे। वह बेटी भी अपने पिता को बहुत प्यार करती थी।
परन्तु सेठ अपनी बेटियौ को परखना चाहता था कि उसे सबसे अधिक प्यार कौनसी बेटी करती है इस लिए उसने एक दिन अपनी बडी़ बेटी को बुलाकर पूछा, बेटी तू मुझे कितना प्यार करती है ?
उसने उत्तर दिया ,"मै आपको सबसे अधिक प्यार करती हूँ।"
सेठ ने खुश होकर पूछा," तुम किसके भाग्य का खाती हो ? "
बेटी ने जबाब दिया,"=पिताजी आपके भाग्य का ही खाती हूँ। "
सेठ यह सुनकर बहुत खुश होगया।
इसी तरह उसने दूसरी बेटी को यही बात पूछी। दूसरी बेटी ने भी यही जबाब दिया।
सेठ उसके जबाब से भी खुश होगया। उस सेठ ने इसी तरह तीसरी और चौथी बेटी से पूछा। उन दोनौ ने भी यही जबाब दिया जब उसने अपनी सबसे छोटी बेटी से पूछा।
तब छोटी बेटी ने जबाब दिया," पिताजी मै आपको बहुत प्यार करती हूँ लेकिन मै अपने भाग्य का खाती हूँ। "
उसका यह जबाब सुनकर वह सेठ बहुत नाराहज होगया ओर उसने चाहर बेटियौ की शादी बहुत पैसे वाले घरौ मे की थी । और उनको बहुत धन दिया था।
परन्तु सबसे छोटी बेटी की शादी एक बहुत ही गरीब के घर मे की और उसे धन भी नही दिया। लेकिन वह फिर भी खुश थी ।जब उससे पूछा गया तब वह बोली," मेरे भाग्य मे यही लिखा था वह होगया। सेठ ने शादी के बाद उसकी कभी खबर भी नही ली थी।
कुछ समय बाद सबसे छोटी बेटी के पति ने लाटरी की टिकिट खरीदी और उसकी एक करोड़ की लाटरी निकल आई और वह करोड़ पति बन गयी
जब कि सेठ को छोटी बेटी के बिदा होते ही ब्यापार में घाटा लग गया और उसकी पूरी सम्पत्ति नष्ट होती चलीगयी। यहाँ तक कि उसका मकान भी बिक गया।
ऐसा ही हाल उसकी चार बेटियौ का होगया। क्योकि उन चारौ के पतियौ को मुफ्त की खाने की आदत आगयी थी। जब सेठ पर बहुत गरीबी आगयी थी। इसी लिए उनका भी बुरा हाल होगया था।
जब छोटी बेटी को अपने पिताजी की इस हालत के बारे मे मालूम हुआ तब वह एक दिन अपने पिताजी का हाल जानने अपने मायके आई थी ।
आज वह बडी़ गाडी़ में बैठकर आई थी । बेटी को गाडी़ से उतरती देखकर सेठ को आश्चर्य हुआ कि मैने इसकी शादी तो बहुत ही गरीब घर में की थी परन्तु यह तो इतनी बडी़ गाडी मे आई है। बेटी समझ गयी कि पिताजी को आश्चर्य होरहा है।
बेटी बोली " पिताजी मै आपको लेने आई हो आप परेशान मत होना मुझे ईश्वर ने बहुत दिया है मेरे पास कोई कमी नही है केवल आपका आशीर्वाद चाहिए। "
आज सेठ को समझ में आरहा था कि सब अपने आपने भाग्य का खाते है । हमको यह झूठा भ्रम होजाता है कि मैने अपने बच्चौ को यह बना दिया। हम कुछ नही करते है सभी के साथ वही होता है जो उसकी तकदीर में लिखा होता है।
दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।
नरेश शर्मा " पचौरी "
05/07/२०२२
Chudhary
07-Jul-2022 12:08 AM
Nice
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Aniya Rahman
06-Jul-2022 06:37 PM
Nyc
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Shrishti pandey
06-Jul-2022 01:18 PM
Nice
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